Suez Canal was opened today
आज के दिन खोली गई थी स्वेज नहर
17 नवंबर 2024 by Admin
स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर को जोड़ती हैं, जो समुद्री परिवहन हेतु वरदान साबित हुई हैं, यह नहर आज ही के दिन 1869 को आम परिवहन हेतु खोली गई थी। आज की पोस्ट में हम आपको स्वेज नहर के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
सामान्य जानकारी
नहर मिस्र में कृत्रिम समुद्री जल मार्ग हैं, यह नहर स्वेज के इस्तमुस से होकर अफ्रीका और एशिया को विभाजित करते हुए भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती हैं।
यह वर्तमान में मिस्र देश के नियंत्रण में हैं, इस नहर का चुंगी कर बहुत ज्यादा हैं जो मिस्र देश की आय का मुख्य साधन हैं।
इस नहर का निर्माण तुर्क साम्राज्य द्वारा सन 1859 से 1869 तक हुआ, नहर की लंबाई 193.3 किलोमीटर (120.1 मील) है। नहर का आरंभ बिंदु पोर्ट सईद हैं तथा अंतिम बिन्दु स्वेज पोर्ट हैं।
नहर का इतिहास
1858 ईस्वी में फार्डिनेंड डी लेजेप्स ने नहर बनाने हेतू ‘ स्वेज नहर कंपनी ‘ का गठन किया। शुरुआत में कंपनी के आधे शेयर फ्रांस के तथा आधे शेयर तुर्की, मिस्र एवं अन्य अरब देशों के थे। बाद में मिस्र और तुर्की के शेयरों को अंग्रेजो ने खरीद लिए।
1888 में एक अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत यह नहर युद्ध और शांति दोनों काल में सब राष्ट्रों के जहाजों के लिए बिना रोक टोक समान रूप से आने जाने के लिए खुली थी। समझौते के तहत नहर पर किसी एक देश की सेना नहीं रहेगी। किंतु 1904 में अंग्रेजो ने इस संधि को तोड़ दिया और अपनी सेना वहां लगा दी।
1951 में मिस्र में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ आंदोलन छिड़ा और अंत में 1954 में संधि हुई, संधि के तहत ब्रिटेन की सरकार ने कुछ शर्तों के साथ अपनी सेना हटा ली। फिर मिस्र की सरकार ने 1956 में नहर का राष्ट्रीयकरण कर इसे अपने पूर्ण अधिकार में ले लिया।
नहर का उपयोग
स्वेज नहर के कारण यूरोप से एशिया तथा पूर्वी अफ्रीका का सरल और सीधा मार्ग खुल गया, तथा लगभग 6000 मील की बचत हो गई। इससे दक्षिणी एशिया के कई देशों का व्यापार बढ़ गया।
इसके बनने से यूरोप और सुदूर पूर्व के देशों के मध्य दूरी बहुत घट गई है। जैसे लिवरपूल से मुंबई आने में 7250 किलोमीटर तथा हांगकांग पहुंचने में 4500 किलोमीटर, न्यूयॉर्क से मुम्बई पहुंचने में 4500 किलोमीटर की दूरी का फायदा हुआ। इस नहर के कारण ही भारत के यूरोपीय देशों के साथ व्यापारिक संबंध बढ़े हैं।
स्वेज जल मार्ग
इस नहर में जलयान 12 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकते हैं, क्योंकि गति अधिक होने से नहर के किनारे टूटने का डर रहता हैं। इस नहर को पार करने में जलयान को 12 घंटे का समय लगता हैं तथा एक साथ एक जहाज ही पार हो सकता हैं। एक दिन में अधिकतम 24 जलयानों का आवागमन हो सकता हैं
स्वेज नहर से व्यापार
इस नहर मार्ग से खाड़ी देशों से पेट्रोलियम, भारत एवं अन्य एशियाई देशों से अभ्रक, लोहा,चाय, कहवा, जूट, रबड़, मसाले, चीनी, चमड़ा, लकड़ी, सूती वस्त्र एवं हस्तशिल्प आदि पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा उतरी अमेरिका को भेजा जाता हैं। तथा इन देशों से रासायनिक पदार्थ, इस्पात, मशीनें, उपकरण, मोटर वाहन, वैज्ञानिक उपकरण इत्यादि का आयात किया जाता हैं।
इस प्रकार स्वेज नहर का निर्माण विश्व इतिहास में सबसे बड़े निर्माणों में से एक है। इसने अपनी शुरुआत से लगाकर आज दिन तक कई संकट देखे तथा हमेशा बनी रही, दो विश्व युद्ध, ब्रिटेन -मिस्र विवाद के साथ खाड़ी देशों के संघर्ष की गवाह हमेशा स्वेज नहर रही हैं।
Team mynewspost
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