Couldn’t save Aryan in borewell
नहीं बचा पाए बोरवेल में गिरे आर्यन को
दौसा, 12 दिसंबर 2024 by Admin
Couldn’t save Aryan in borewell
लाख कोशिशों के बावजूद भी बोरवेल में गिरे आर्यन को नहीं बचा पाए। 3 दिन पहले दौसा में आर्यन खेलते हुए बोरवेल में गिर गया था। आर्यन को लगभग 57 घंटे बाद बुधवार रात 11:45 बजे बाहर निकाला गया। जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
करीब तीन दिन पहले आर्यन अपने खेत में खेलते समय खुले ट्यूबवेल में गिर गया था। Sdrf और प्रशासन की टीमों ने आर्यन को निकालने हेतु 3 दिन में कई तकनीकों को स्तेमाल किया। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी मासूम की जान बचाई नहीं जा सकी। आर्यन 5 वर्ष का था।
ट्यूबवेल में गिरे आर्यन को बचाने के लिए कई देसी जुगाड भी किए गए लेकिन काम नहीं आए। करीब 57 घंटों में उसको पानी भी नहीं पिला पाए।
दूध की बोतल लेकर रातभर बैठा रहा पिता
बच्चे के पिता जगदीश मीना रातभर हाथ में दूध से भरी बोतल लेकर बोरवेल के समीप इस उम्मीद में बैठे रहे कि तीन दिन से भूखे – प्यासे बेटे को कुछ खिला – पिला दूं। आर्यन के माता – पिता भी तीन दिन से भूखे रहकर सिर्फ आर्यन के सकुशल बाहर आने की भगवान से कामना कर रहे हैं।
मां की चिंता इतनी बढ़ गई कि तबियत बिगड़ गई। इस पर डॉक्टर ने आकर उपचार किया।
आर्यन के रेस्क्यू ऑपरेशन में जैसे – जैसे समय गुजरता गया, वैसे – वैसे ही माता – पिता और मौके पर उपस्थित हजारों लोगों की धड़कने तेज होती रही। हर किसी को चमत्कार की उम्मीद थी, लेकिन सभी की उम्मीद टूट गई।
रेट माइनिंग से निकालने की कोशिश भी की गई
टयूबवेल के पास ही 6 फिट दूर एक बड़ी मशीन से बड़ा टयूबवेल खोदा गया, जिसमें सीमेंट के पाइप लगाकर उसे 155 फिट गहरा खोदा गया।
फिर उस होल से पुराने बोरवेल की साइड रेट माइनिंग का प्लान था वहां जाकर आर्यन को बाहर निकालने की योजना थी, लेकिन इसमें भी प्रशासन को ज्यादा समय लग गया। एक मशीन सवाई माधोपुर से मंगाई गई वो खराब हो गई, फिर दूसरी मशीन शाहपुरा से लाई गई। लेकिन तब तक बहुत समय जाया हो गया।
कल से बेहोशी की हालत में था बच्चा
ट्यूबवेल में रेस्क्यू टीम लगातार कैमरे से बच्चे पर नजर रखे थी। लेकिन कल से ही बच्चा कोई हलचल नहीं कर रहा था, वो बेहोश हो गया था। तीन दिन से उसे पानी तक नहीं मिला था।
पिता कहते रहे की ऐसा पता होता तो बोरवेल खुदवाया ही नहीं
चेहरे पर चिंता लिए आर्यन के पिता जगदीश मीणा लगातार बोरवेल के पास बैठे रहे। उनका कहना है कि बोरवेल में फंसी मशीन को निकलवाने के लिए ही उसे खोला था। उन्हें पता नहीं था कि यह बोरवेल बेटे की मौत का कारण बनेगा। अगर ऐसा पता होता तो बोरवेल खुदवाया ही नहीं। परिवार का रो रोकर बुरा हाल है। गांव के हजारों लोग दिलासा देने उनके घर जुटे हुए हैं।